वर्णन- मुख्यतः एनीमिया, लिवर रोग के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। लिवर के कार्य में सुधार करते हैं और इसे संक्रमण से बचाते हैं।मांसपेशियों की ऐंठन व दर्द के इलाज में इस्तेमाल किये जाते हैं।
घटक : रोहेड़े की छाल, धाय के फूल, पीपल, पीपलामूल, चव्य, चित्रक, सोंठ, दालचीनी, तेजपात, बड़ी इलायची, हर्रे, बहेड़ा, आंवला।
उपयोगी : इसके सेवन से तिल्ली, यकृत, वायुगोला, अग्निमान्द्य, हृदयरोग, पाण्डु, कुष्ठ, शोध आदि रोग दूर हो जाते हैं। इस रक्तशोधक और पाचक भी है। कमजोर शरीर, भूख न लगना, अरुचि, खूनी बवासीर एवं कब्ज आदि रोगों में लाभप्रद है।
उपयोग : मात्रा 4 चम्मच दवा, 4 चम्मच पानी, सुबह-शाम खाने के तुरन्त बाद लेना चाहिए या परामर्श अनुसार।
इसका प्रयोग चिकित्सक के परामर्श से करें




























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