वर्णन : यह अन्य आवश्यक जड़ी-बूटियों के साथ लोहभस्म का एक उत्कृष्ट संयोजन है। लोहासव को आयरन की कमी के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता हैं, जबकि लोहाभस्म तेजी से हीमोग्लोबिन स्तर में सुधार करता है, त्रिकटु बेहतर अवशोषण और आत्मसात सुनिश्चित करता है।
इससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल गड़बड़ी या कब्ज नहीं होता है। एम्बेलिया रिब्स और प्लम्बैगो ज़ेलेनिका के गुण के कारण इसमें कृमिनाशक गुण भी होते हैं।
घटक : लोहे का बुरादा, सौंठ, मिर्च, पीपल, आंवला, हर्रे, बहेड़ा, अजवायन, वायविडंग, नागरमोथा, चिलकमूल।
उपयोगी : इसके सेवन से पाण्डु, गुल्म, सूजन, अरुचि, संग्रहणी, जीर्णज्वर, अग्निमांद्य, दमा, कास, क्षय, उदर, अर्श, कुष्ठ, कण्डु, तिल्ली, हृदोग और यकृत-प्लीह की विकृति को नष्ट करता है।
मात्रा : 4 चम्मच दवा, 8 चम्मच पानी, सुबह शाम भोजन के तुरन्त आधे घंटे बाद लेना चाहिए।
इसका प्रयोग चिकित्सक के परामर्श से करें




























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